NOT KNOWN FACTS ABOUT HINDI STORY

Not known Facts About hindi story

Not known Facts About hindi story

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एक दिन की बात है रितेश को स्कूल के लिए देरी हो रही थी। वह घास नहीं ला सका, और स्कूल चला गया। जब स्कूल से आया तो खरगोश अपने घर में नहीं था। रितेश ने खूब ढूंढा परंतु कहीं नहीं मिला। सब लोगों से पूछा मगर खरगोश कहीं भी नहीं मिला।

Picture: Courtesy Amazon This is certainly one of those Hindi fiction publications without the need of which neither Hindi literature in the twentieth century is full, nor is any discussion about the job of girls in the proper capacity. Possessing been translated into various languages, this novel is applicable even nowadays. As a result of this novel, Mannu Bhandari recognises and breaks down the earth of Grown ups throughout the eyes and consciousness of a baby.

‘लोग मुझे खनी कहते हैं। पुलिस मुझे ढंढ रही है! कानून मुझे फाँसी पर चढाने के लिए मचल रहा है! लेकिन उन सभी को यह नहीं मालूम कि मैंने जिन लोगों का खून किया है, वे लोग किस कदर कानून को हाथ में लिए घूम रहे थे?

नैतिक शिक्षा – दूसरों की भलाई करने से ख़ुशी मिलती है।

केवल पांडे आधी नदी पार कर चुके थे। घाट के ऊपर के पाट मे अब, उतरते चातुर्मास में, सिर्फ़ घुटनों तक पानी है, हालाँकि फिर भी अच्छा-ख़ासा वेग है धारा में। एकाएक ही मन मे आया कि संध्याकाल के सूर्यदेवता को नमस्कार करें, किंतु जलांजलि छोड़ने के लिए पूर्वाभिमुख शैलेश मटियानी

एक दिन रूपा बगीचे में खेल रही थी। तभी उसके पास एक तितली आ कर बैठी। इसके पंखों में हीरे जड़े हुए थे। तभी तितली उड़ चली और रूपा उसका पीछा करते करते जंगल में निकल गयी। कुछ देर बाद रूपा को एहसास हुआ की वह भटक गयी है। तभी तेज़ तूफ़ान शुरू हो गया और रूपा रोने लगी। अचानक से रूपा के पीछे लगे पीपल के पेड़ की डाली आगे आयी और उसने रूपा उठा कर कहा की उसके रहते रूपा को डरने की कोई ज़रुरत नहीं है। जब तक तूफ़ान थम नहीं गया, पीपल के पेड़ ने रूपा को अपने अंदर छिपाये रखा। तब तक रूपा को ढूंढते हुए सैनिक आ गए और उसे अपने साथ महल वापस ले गए।

मुकेश कोई छः – सात साल का होगा। उसे पेंटिंग करना और क्रिकेट खेलना बेहद पसंद है। खाली समय में वह क्रिकेट खेलता और पेंटिंग बनाया करता था।

वह कौन-सा मनुष्य है जिसने महा-प्रतापी राजा भोज महाराज का नाम न सुना हो! उसकी महिमा और कीर्ति तो सारे जगत् में व्याप रही है, और बड़े-बड़े महिपाल उसका नाम सुनते ही काँप उठते थे और बड़े-बड़े भूपति उसके पाँव पर अपना सिर नवाते। सेना उसकी समुद्र की तरंगों राजा शिवप्रसाद सितारे हिंद

किसी श्रीमान ज़मींदार के महल के पास एक ग़रीब अनाथ विधवा की झोंपड़ी थी। ज़मींदार साहब को अपने महल का अहाता उस झोंपड़ी तक बढ़ाने की इच्छा हुई, विधवा से बहुतेरा कहा कि अपनी झोंपड़ी हटा ले, पर वह तो कई ज़माने से वहीं बसी थी; उसका प्रिय पति और इकलौता पुत्र माधवराव सप्रे

(मेरी मान्यता है कि मंटो को उर्दू-हिंदी के here भाषाई विभाजन का विषय न बनाया जाए. वे दोनों ही भाषाओं के महान कथाकार हैं. उनकी सहज-सरल भाषा को किसी ऐसी श्रेणी में बांटा भी नहीं जा सकता. जो भी अंतर है वह सिर्फ़ लिपि की भिन्नता के कारण है.

शेरू बहुत खुश हुआ उस रोटी को लेकर गाड़ी के नीचे भाग गया। वहीं बैठ कर खाने लगा।

सबसे पहले हम अपने पाठकगण से यह कह देना आवश्यक समझते हैं कि ये महाशय जिनकी चिट्ठी हम आज प्रकाशित करते हैं रत्नधाम नामक नगर के सुयोग्य निवासियों में से थे। इनको वहाँ वाले हंसपाल कहकर पुकारा करते थे। ये बिचारे मध्यम श्रेणी के मनुष्य थे। आय से व्यय अधिक केशवप्रसाद सिंह

"यह बात नहीं कि उनकी जीभ चलती नहीं, पर मीठी छुरी की तरह महीन मार करती हुई. यदि कोई बुढ़िया बार-बार चितौनी देने पर भी लीक से नहीं हटती, तो उनकी बचनावली के ये नमूने हैं हट जा – जीणे जोगिए; हट जा करमाँवालिए; हट जा पुत्ताँ प्यारिए; बच जा लंबीवालिए.

वह इस समय दूसरे कमरे में बेहोश पड़ा है। आज मैंने उसकी शराब में कोई चीज़ मिला दी थी कि ख़ाली शराब वह शरबत की तरह गट-गट पी जाता है और उस पर कोई ख़ास असर नहीं होता। आँखों में लाल ढोरे-से झूलने लगते हैं, माथे की शिकनें पसीने में भीगकर दमक उठती हैं, होंठों कृष्ण बलदेव वैद

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